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Sanatan Dharma, What is vedic dharm, definition of dharm, difference between Hindu Dharm and Sanatan Dharm, what is hindutva, which are the hindu scriptures, is there only one religion or many? धर्म, धर्म क्या है?, सनातन धर्म , सनातन धर्म क्या है? वैदिक धर्म क्या है? हिंदू धर्म और सनातन धर्म में क्या अंतर?, सनातन धर्म के संस्थापक कौन?,धर्म एक या अनेक, धर्म और मत/मजहब/पंथ मेंअंतर, सनातन धर्म के ग्रन्थ, हिंदू का क्या अर्थ है? हिंदू का पवित्र ग्रन्थ कौन सा है?

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जो सदा से चलता आया है वह सनातन है। वैदिक धर्म ही सनातन धर्म है, क्योंकि सदा से है। यही सार्वभौमिक(सभी के लिए), सार्वकालिक(सभी समय में), सार्वदेशिक(सभी स्थानों पर), वैज्ञानिक, तार्किक व सृष्टि नियम के अविरूद्ध है।

सनातन धर्म सृष्टि के आदि से हैं, आरंभ से हैं। इससे पहले सृष्टि में भी था। यदि इस सृष्टि में इसका समय देखें तो भी जब से दुनिया में मनुष्य ने प्रथम बार आँखें खोली तब से अब तक और जब तक यह संसार रहेगा तब तक सनातन धर्म ही शेष रहेगा। कितने भी जन्म होंगे, कितने भी मत/पंथ/संप्रदाय खड़े होंगे फिर भी सनातन वैदिक धर्म हमेशा रहेगा। 

 

सनातन धर्म की कभी उत्पत्ति नहीं हुई क्योंकि यह अनादि है और जो अनादि ईश्वरीय धर्म हैं वह उत्पन्न नहीं होता। और जो उत्पन्न नहीं होता वह नष्ट भी नहीं होता। जो उत्पन्न होता है वह नष्ट हो जाता है। इसलिए सनातन धर्म ईश्वरीय नियमों का संग्रह है जिन्हें कभी समाप्त नहीं किया जा सकता।


सनातन धर्म कोई रिलीजन नहीं है। संप्रदाय भी नहीं है। मत, पंथ, या मजहब भी नहीं है। यह सार्वभौमिक सत्य नियम है। विश्व का सबसे पुराना धर्म 'वैदिक धर्म' ही है। इसे ही सनातन धर्म कहते हैं।

हिंदू का क्या अर्थ है? (What does Hindu mean?)

हिंदू का अरबी भाषा में अर्थ बुतपरस्त/काफिर है। हिन्दू शब्द का प्रयोग अरबी भाषा में अधार्मिक के लिए प्रयुक्त होता है। यह नि:संदेह अस्वीकार्य होना चाहिए।

हम आर्य है। ऋग्वेद में आर्य शब्द 31 बार आया है, जबकि हिन्दू शब्द एक बार भी नहीं आया है। वेदादि शास्त्रों, उपनिषद, रामायण, महाभारत में भी हिन्दू शब्द नहीं है। वाल्मीकि रामायण में माता सीता श्रीराम को आर्य कहती थी। आर्य शब्द श्रेष्ठता का सूचक है। जो सदाचारी हो, गुणों में श्रेष्ठ हो, आपत्ति पड़ने पर भी अकार्य नहीं करता, वह आर्य कहलाता है। 


यदि संस्कृत भाषा को ध्यान में रखकर के नवीन सिरे से हिन्दू शब्द की व्याख्या की जाए तो श्रद्धेय आचार्य आनंद प्रकाश जी ने बहुत सुंदर तरीके से इसे बतलाया है-
🌷हिनस्ति दुष्टानि हिनस्ति दुर्गुणानि हिनस्ति दुरितानि इति वा स हिन्दु:।
अर्थात जो राष्ट्र के समाज के शत्रुओं को नष्ट करता है, अपने दुर्गुणों को दूर करता है, विकारों को दूर करता है, सामाजिक बुराइयों को दूर करता है वह हिंदू है। यह परिभाषा सबको स्वीकार्य हो सकती है। परंतु अरबी भाषा वाली परिभाषा में स्वीकार्य नहीं।

 इश्वर       आत्मा          दुःख      शरीर      स्वास्थ्य     प्रकृति     वेद    ​मन     बुद्धि     ध्यान   योग     सनातन धर्म     आयुर्वेद

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